नशा हमारे समाज पर क्या दुष्प्रभाव डाल रहा है ।
आप अक्सर ही ऐसी कहानियाँ सुनते होंगे कि फलाने आदमी की नशे की लत ने उसके पूरे परिवार को तहस-नहस कर दिया। सबसे बड़ी चिंता का विषय है कि नशीली वस्तुओं का सेवन अब स्कूलों के विद्यार्थियों को अपनी चपेट में ले रहा है। आज बहुत से नशीले पदार्थ ऐसे हैं जो बाजार में आसानी से कम कीमत पर उपलब्ध हो रहे हैं। जिस के कारण नशा करने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा होता जा रहा है।भारत को युवाओं का देश कहा जाता है। लेकिन चिंताजनक सवाल यह है कि क्या आज का युवा हमारे देश का आने वाला कल है। जहां एक तरफ हमारे देश की शिक्षा नीति में बदलाव हो रहा है, ताकि आने वाला भविष्य सफल युवा पीढ़ी के हाथों में सुरक्षित रह सके। वही दूसरी ओर विद्यालय के छात्र जो अभी अंडरएज है, नशे की गिरफ्त में हैं। देश में आज 12 साल से 18 साल के बच्चों में ही नशा एक फैशन के रूप में प्रचलित है।
नशाखोरी इस सदी की सबसे बड़ी समस्या है। देश में प्रतिदिन नशे की आदतें बढ़ती जा रही है और पिछले कुछ वर्षों से हमारे युवाओं में नशे की लत आज समाज और सरकार के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। नशा एक ऐसी आदत है, जो किसी इन्सान को पड़ जाये तो, उसे दीमक की तरह अंदर से खोखला बना देती है। उसे शारीरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से बर्बाद कर देती है। जहरीले और नशीले पदार्थ का सेवन इन्सान को बर्बादी की ओर ले जाता है। आजकल युवाओं के साथ साथ बड़े बुजुर्ग भी इसकी गिरफ्त में है, लेकिन सबसे अधिक ये युवा पीढ़ी को प्रभावित कर रहा है। युवा पीढ़ी के अंदर सिर्फ लड़के ही नहीं, बलकि लड़कियां भी आती है। जो नशे कि लत कि शिकार है। नशा करने वाला व्यक्ति घर, देश, समाज के लिए बोझ बन जाता है,नशा करने वाले व्यक्ति का न कोई भविष्य होता है, न वर्तमान, उसके अंत में भी लोग दुखी नहीं होते है।
हम अपने समाज को नशे से केसे बचा सकते है ।
किसी व्यक्ति की नशे कि लत छुड़वाने के लिए एक परिवार की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। यदि परिवार अपने बच्चों की परवरिश करते समय उनकी ऐसी गतिविधियों पर नजर न रखें तो धीरे-धीरे वे बच्चे बुरी संगत में पड़ सकते हैं और छोटे-छोटे नशे करने का प्रयास करने लगते हैं, इसलिए परिवार को चाहिए कि वह शुरू से ही अपने बच्चों के साथ समय बिताएं तथा उन्हें अच्छे संस्कार दें। परिवार नशेड़ी सदस्य की गतिविधि पर नजर रखे। सर्वप्रथम, उसके नजदीकी दोस्तों जिनके साथ मिलकर वह नशा करता है उनसे दूरी बनाने के प्रयास करने होंगे, जब कभी वे मिलने का प्रयास करें तो बहाना बनाकर टाला जाए ताकि उनका संपर्क टूट जाए। परंतु बोलचाल में उसके साथ अच्छा व्यवहार किया जाए।
बड़ो के व्यवहार में लापरवाही
अब से कुछ ही सालों की बात हैं घर में बच्चे तम्बाकू का पैकेट लाते हुए भी डरते थे। उन्हें डर रहता था कि अगर ये किसी ने देख लिया तो इसके लिए उन्हें सज़ा मिलेगी। परंतु आज अनेक ऐसे उदाहरण देखने को मिलते है कि घर में लोग अपने बच्चों के सामने ही शराब या तंबाकू का प्रयोग सहजता से करते हैं। इससे बच्चो पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं, क्योंकि बच्चे का व्यवहार अपने बड़ो के व्यवहार को देख कर विकसित होता हैं। आज घरों में बियर की बोतलें रखी जाती हैं। बड़ो की लापरवाही के कारण भी बच्चों में नशे लत बढ़ी रही हैं।
लोगों से मेलजोल बढ़ाएं-
नशा छोड़ने के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने ध्यान को स्थिर रखें। इस दौरान लोगों से मेलजोल बढ़ाएं ताकि आपके दिमाग में नशे से जुड़े ख्याल ही न आएं। साथ ही सुबह के वक्त मेडिटेशन या वर्कआउट करना शुरू कर दे। इससे आप खुद-ब-खुद अपने स्वास्थ की देखभाल करने लगेंगे।
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